दिल्ली-एनसीआर की प्रदूषित हवा में घुली ये ५ गैसें जान के लिए बड़ा खतरा


नई दिल्ली। खतरनाक स्तर से दस गुना तक पहुंच चुके राजधानी के प्रदूषण का असर हर उम्र के व्यक्ति पर है। यह प्रदूषण लोगों के आंख, नाक, गला, फेफड़ा, ह्दय, लिवर, गुर्दा, रक्त और त्वचा तक हर अंग पर असर डाल रहा है। इससे निपटने के उपाय करने के लिए जरूरी है कि हम इन जहरीली गैसों और इसके शरीर पर होने वाले इसके असर को समझें ...
१. एसपीएम- सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता। ये बेहद खतरनाक कण अब दुनियाभर में वायु प्रदूषण का नया पैमाना बन चुके हैं क्योंकि ये शरीर के हर हिस्से पर प्रभाव डालते हैं। 
२. नाइट्रोजन ऑक्साइड- ये तीव्र प्रतिक्रियाशील गैसों का समूह है, जिसमें नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड घुली होती है। यह वातावरण में लाल-कत्थई रंग कुहरा पैदा करता है। इससे त्वचा का कैंसर हो सकता है।
३. कार्बन मोनोऑक्साइड- यह रंगहीन और गंधहीन गैस है और वाहन के ईंधन से पैदा होती है। इससे दृश्यता घटती है, सुनने की क्षमता घट सकती है, सिर और सीने में दर्द रहता है।  ४. सल्फर डाईऑक्साइड- यह ऐसी रंगहीन गैस है जो पानी में घुलकर भाप के रूप में अम्ल बनाती है। यह औद्योगिक कार्यों से पैदा होती है, जिससे सांस उखड़ने की समस्या पैदा होती है।  ५. ओजोन रू यह हल्के नीले रंग की गैस है जो वातावरण में मौजूद गैसों के सूर्य से प्रतिक्रिया करने पर पैदा होती है। कूड़ा वाली जगहों पर यह पैदा होती है। इससे आंखों में पानी, गले में खराश, सीने में खिंचाव की समस्या आती है। पीएम स्तर है वायु प्रदूषण का संकेत-  हवा के प्रदूषित कणों को पीएम कहते हैं जो वाहन और ईंधन जलाने से वातावरण में पैदा होते हैं। हवा में इन कणों की संख्या निर्धारित मानक से अधिक हो जाने पर वायु की गुणवत्ता घटती है और प्रदूषण बढ़ता है। इसे माइक्रोन में मानते हैं जो एक इंच के २५ हजार होते हैं।  असर-  आंख, नाक, गला और फेफड़े में जलन, खांसी, छींक, नाक बहना और सांस फूलना। अस्थमा और दिल के रोगियों के लिए जानलेवा हो सकते हैं।  पीएम २.५ है सबसे खतरनाक-  बालों से ३० गुना पतला कण है, जिसका शरीर में प्रवेश रोकना बहुत मुश्किल है। २.५ माइक्रोन धनत्व वाले इन कणों की संख्या बढ़ने पर वातावरण की दृश्यता घटती है। दिन में हवा बंद होने पर ये कण बढ़ जाते हैं।  पीएम १० से मास्क बचाएगा रू १० माइक्रोन धनत्व वाले प्रदूषित कणों को मास्क के माध्यम से शरीर में घुसने से रोका जा सकता है। ये पीएम २.५ से कम खतरनाक होते हैं।