खतौली। विज्ञानमति माता ससंघ ने बताया कि सिद्धचक्र महामंडल में भाग लेकर हम असीम पुण्य का संचय करते हैं। हमें धार्मिक अनुष्ठान में पूरी श्रद्धा व आस्था से भाग लेकर पवित्रता व शुद्धता का ध्यान रखना है। धर्म त्याग और संयम से ही सब कुछ संभव है। त्याग की भावना ही धर्म का श्रेष्ठ स्वरूप है। होली चौक स्थित उत्सव पांडाल में विज्ञानमति माता ससंघ ने सिद्धचक्र महामंडल विधान की धर्म आराधना व पूजा अर्चना कराई। विधान सामग्री के पुण्यार्जन का सौभाग्य प्रमोद जैन बर्तन वालों के परिवार को प्राप्त हुआ। संगीत की मधुर भक्ति धुनों व मंत्रोच्चार के साथ उत्सव पांडाल में विराजमान जितेंद्र भगवान की प्रतिमाओं का भक्तों ने अभिषेक व पूजन कर धर्म लाभ लिया। धर्मसभा में विज्ञानमति माता ससंघ ने बताया कि सिद्धचक्र महामंडल में भाग लेकर हम असीम पुण्य का संचय करते हैं। हमें धार्मिक अनुष्ठान में पूरी श्रद्धा व आस्था से भाग लेकर पवित्रता व शुद्धता का ध्यान रखना है। त्याग की भावना ही धर्म का श्रेष्ठ स्वरूप है। श्रम और संघर्ष से अर्जित धन ही धार्मिक साधना में सफल होता है। धर्म की साधना गरीब अमीर सभी एक समान कर सकते हैं। जीवन में जिसने संतोष धारण किया है, वह व्यक्ति ही महान बन सकता है। धर्म के लिए निर्मल परिणाम बनाना आवश्यक है। सायंकाल जिनेंद्र भगवान की आरती व भजन किए गए। शास्त्र सभा व शंका समाधान कार्यक्रम आयोजित किया गया। चार नवंबर को दोपहर में उत्सव पांडाल में विज्ञानमति माताजी ससंघ की पिच्छी पविर्तन समारोह विशाल स्तर पर आयोजित होगा। यह जानकारी सकल जैन समाज के अध्यक्ष सुशील जैन ने दी। इस अवसर पर विजय, अरुण, कल्पेंद्र, शशांक, संजय, सभासद वैभव जैन, पंकज, निशांत, पवन, विनोद, जम्बू प्रसाद, सुभाष नावला, राकेश लल्लू, सतीश चक्की, अरुण, अजय प्रवक्ता, नीरज जैन प्रवक्ता, सुबोध, रुपाली, आयुषी, वीरेश, कौशल, उर्वशी, शकुंतला, माया, मणि, निधि, नैना, मीनाक्षी, बोबी आदि उपस्थित रहे।
त्याग की भावना ही धर्म का श्रेष्ठ स्वरूपः विज्ञानमति